यहां पानी से होकर गुजरते हैं जनाज़े, बारिश के कई महीनें डूबा रहता कब्रिस्तान 

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यहां पानी से होकर गुजरते हैं जनाज़े, बारिश के कई महीनें डूबा रहता कब्रिस्तान रायबरेली जिले में बछरावां के कब्रिस्तान में भरा पानी। फोटो- किशन कुमार

मोबिन अहमद - कम्यूनिटी जर्नलिस्ट

रायबरेली। “साहब, एक नज़र इधर भी लोग घबरा के कहते हैं कि मर जाएंगे, मर के भी चैन न आया तो किधर जाएंगे।'' बशीर बद्र ने ये पंक्तियां न जाने क्या सोच कर लिखी होगीं, लेकिनबछरावां क्षेत्र में कब्रिस्तानों की हालत देखकर तो यही लगता है कि मरने के बाद भी चैन नहीं है। यहां पर बने कब्रिस्तानों के चारो तरफ पानी भर गया है और इसकी हालत सुधारने कोई भी सामनेनहीं आ रहा है।

रायबरेली जिले के बछरावां ब्लॉक में मुस्लिम परिवारों की तदाद बहुत ज़्यादा है और क्षेत्र के कई गाँवों के किनारे कब्रिस्तान भी बने हैं पर उनके रखरखाव की जिम्मेदारी लेने के लिए कोई सरकारी विभाग सामने नहीं आया है। स्थानीय स्तर पर कब्रिस्तान के रखरखाव को लेकर काम कर रहे स्थानीय इंतजमिया कमेटी के सदस्य जुग्गन (55 वर्ष) और मो. एजाज़ (36) ने सरकार की अल्पसंख्यक कल्याण समिति में गुहार लगाई तो चाहरदीवारी बनाने के लिए कुछ ईंटे आई पर अभी तक काम आगे नहीं बढ़ सका है।

पानी में डूबी कब्रें। फोटो- किशन कुमार

राज्य सरकार सूबे के सभी कब्रिस्तानों की घेराबंदी करा रही है और प्रदेश में 70 फीसदी कब्रिस्तानों में घेराबंदी का दावा कर रही है। लेकिन इसके बावजूद ग्रामीण क्षेत्रों में बने कब्रिस्तानों की हालत नहीं सुधर रही है। ग्रामीणों के अनुसार अगर गाँव में किसी का भी इंतकाल होता है, तो मजबूरन पानी से होते हुए कब्रिस्तान जाना पड़ता है।

कब्रिस्तान से 500 मीटर की दूरी पर रहने वाले मो. अकरम ने बताया कि जब कभी भी बरसात होती है तब कब्रिस्तान में पानी भर जाता है। हमने तो गाँव के कुछ लोगों को वहां शौच जाते हुए भी देखा है।

This article has been made possible because of financial support from Independent and Public-Spirited Media Foundation (www.ipsmf.org).

   

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